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हृदय में राम-05-Nov-2023

हृदय में राम



भगवान राम की खोज मणिक में क्या बंदर वृत्ति उचित कहना?

क्या अंतर्मन में प्यास प्यार, का अनुचित है चरित्र कहना

पानी पानी कहने से क्या? प्यास बुझाया जा सकता है

राम राम बस कहने से क्या? उनको पाया जा सकता है 

मंत्र जपो या फेरो माला तुम नही कभी कुछ पाओगे 

मन मंदिर के अंदर जब तक ना ईश्वर को बैठाओगे

छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ से पहले इतर कहीं बैठो

भटक कहीं ना और कहीं तुम पहले खुद में खुद लौटो 

ढूंढ़ रहा हर कोई युग से एक एक चीजों में खुद से

मिला किसे कोई जो चाहा चाहत मन के अपने जिद से 

भले बताया गया तुम्हें कि जीव जन्तु में श्रेष्ठ तुम्हीं हो 

अंतर्मन में प्यार लिए जो सबमें सबसे जेष्ठ कहीं वो

बहुत कठिन है जीवन जीना खुद बिन जाने अंतर्मन को

भौतिक जीवन में देखा है जहां नहीं सुख है तन मन को

चीर दिखाया पवनपुत्र ने अंतर्वक्ष प्रभु राम बसे थे

मणिक रत्न में फिर क्या रखा जिसमें स्वयं प्रभु राम बसे थे। 


                  रचनाकार 

             रामबृक्ष बहादुरपुरी 

         अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 



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4 Comments

Mohammed urooj khan

06-Nov-2023 02:02 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

06-Nov-2023 11:06 AM

शानदार

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Punam verma

06-Nov-2023 07:37 AM

Very nice👍

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